प्रेमचंद
प्रसिद्ध अँग्रेज़ी लेखिका जॉर्ज इलियट के लघु उपन्यास 'साइलस मार्नर' का हिन्दी रूपान्तर
प्रेमचंद
… [सांसारिक सफलता का] मूलमंत्र है डींग मारना। ऐसी डींग मारो कि दूसरे प्रभावित हो जाएँ। कोई कितना ही अविश्वास प्रकट करे, कितनी ही हँसी उड़ाए, कुछ परवा मत करो। तुम्हारे चले जाने के बाद वह अपने मन में सोचेगा कि अगर इसने रुपये में एक आना भी सत्य कहा है तब भी कुछ कम नहीं। बस ज़मीन और आसमान के कुलाबे मिला दो। ... तुम ज़रा भी झिझके और काम बिगड़ा। ज़रा देर के लिए अपने को भूल जाओ और यह समझो कि मैं जो कुछ कह रहा हूँ वह अक्षरश: सत्य है।'
संपादक मोटेराम जी शास्त्री से
बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में जनसाधारण के जीवन के संवेदनशील चित्रण के लिए विख्यात मुंशी प्रेमचंद के बहुमुखी लेखन का एक पक्ष, जिससे पाठक संभवत: कम परिचित हैं, व्यंग्य लेखन है। मुंशीजी की व्यंग्य कथाएँ 'प्रेमचंद रचनावली' में बिखरी हुई हैं। इनमें से कुछ चुनिंदा कथाओं को पाठकों की सुविधा के लिए इस पुस्तक में संकलित किया गया है।